उस दिन की सुबह ही
कुछ निराली थी
प्रकृति, कुछ अनुपम गुल्
खिलानें वाली थी
सृष्टि के हर जीव को
आमंत्रण था, क्योंकि
सुरज के संग
चंदा का मिलन था
और सारी सृष्टि
इसकी साक्षी बननें वाली थी ।
सुबह-सुबह सुरज ने दर्शन दिये
इस अट्टाहास से कि
आज इन्हीं सहस्त्र कोटि
किरणों से चन्दा को
आलिंगन करने वाला हूं ।
और बलखाती निकल पडी तब
चन्दा कि भी सवारी
आतूर मन से विस्मित नयन से
देख रही सृष्टि सारी
तारों ने भी चमक-दमककर
अपनी खुशी जताई
तो सुरज नें भी खुश होकर
चन्द्र क्रिडाय़ें दिखलाईं
और क्षण भर में हुआ अंधेरा
था क्षण अनोखा आया
इस सृष्टि का स्वामी सुरज
चन्दा की बाहों में था समाया ।
अंधकार की सीमा को तोडकर
सुरज नें चन्दा को पहिना दी
अंगुठी हिरों वाली
तो तारों के साथ साथ
इस अनंत कोटि ब्रम्हाण्ड नें
प्रकृति के इस अनुपम कलाआविष्कार को
झुक-झुककर प्रणाम किया ।
सन्दीप
कुछ निराली थी
प्रकृति, कुछ अनुपम गुल्
खिलानें वाली थी
सृष्टि के हर जीव को
आमंत्रण था, क्योंकि
सुरज के संग
चंदा का मिलन था
और सारी सृष्टि
इसकी साक्षी बननें वाली थी ।
सुबह-सुबह सुरज ने दर्शन दिये
इस अट्टाहास से कि
आज इन्हीं सहस्त्र कोटि
किरणों से चन्दा को
आलिंगन करने वाला हूं ।
और बलखाती निकल पडी तब
चन्दा कि भी सवारी
आतूर मन से विस्मित नयन से
देख रही सृष्टि सारी
तारों ने भी चमक-दमककर
अपनी खुशी जताई
तो सुरज नें भी खुश होकर
चन्द्र क्रिडाय़ें दिखलाईं
और क्षण भर में हुआ अंधेरा
था क्षण अनोखा आया
इस सृष्टि का स्वामी सुरज
चन्दा की बाहों में था समाया ।
अंधकार की सीमा को तोडकर
सुरज नें चन्दा को पहिना दी
अंगुठी हिरों वाली
तो तारों के साथ साथ
इस अनंत कोटि ब्रम्हाण्ड नें
प्रकृति के इस अनुपम कलाआविष्कार को
झुक-झुककर प्रणाम किया ।
सन्दीप
2 comments:
its really awesome description of nature.......you are a fabulous poet.
अंधकार की सीमा को तोडकर
सुरज नें चन्दा को पहिना दी
अंगुठी हिरों वाली
तो तारों के साथ साथ
इस अनंत कोटि ब्रम्हाण्ड नें
प्रकृति के इस अनुपम कलाआविष्कार को
झुक-झुककर प्रणाम किया ।
This part i liked most:)
बड़ी गहराई है कविता में
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