मेरे सपनों का कोई तो राजदार हो
मेरा अपना हो, मेरे पास हो
मुझसे भी किसी को प्यार हो
मेरे सपनों का कोई तो राजदार हो ।
किसी के आते ही सन्म्मुख
धडकने ह्र्दय की बढ जायें
अनगिनत तारों को छेड दे जैसे मस्तिष्क
अंग-अंग उसकी प्रशंसा में गीत गाये
पदविन्यास ऐसा हो, नाच नाचकर
शरीर थक जाये
मैं कभी चाहूं तो, उसकी
बांहों में बदन का पसार हो
मेरे सपनों का कोई तो राजदार हो ।
मेरे अनुभवों का साक्षी हो
मेरे साथ रहे
दुखों के दरिया में मेरे
साथ-साथ बहे,
मेरी आशा, मेरी सफलता
मेरी भावनाऑ, मेरी श्रद्धा
का एक स्थान हो
पुण्य तो बंट जायेंगे
मेरे पापों का भी वह हिस्सेदार हो
मेरे सपनों का कोई तो राजदार हो ।
मेरी बॉंहों की सीमा में,
किसी का अहम सिमट जाये
किसी का अस्तित्व, मेरे व्यक्तित्व
के दायरे मे आकर मिट जाये
कोई अनमोल समझकर, मेरे विचारों
की बोली लगा दे
कोई मेरी खातिर कभी
बेमोल बिक जाये
किसी के साथ, इस ह्र्दय का
कभी तो व्यापार हो ।
मेरे सपनों का कोई तो राजदार हो ।
उसके लिये जिससे मैं कभी मिला ही नहीं, फिर भी अथाह प्रेम लिये बैठा हूं .
- सन्दीप
2 comments:
This one is awesome !!!! ... vichaar aur bhaav kafi ache se likhe hai ...
Sandeep,,,,after reading this,I think you need to show your poetic side to atleast our team members.I am sure that it ll a be great session for everyone.
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